पूरा देश स्तब्ध है क्योंकि घटना ऐसी फिर हुई जिसने देश में सभी का सिर शर्म से झुका दिया और सभ्य समाज के मुंह पर "बलात्कार" रूपी घिनौने शब्द का तमाचा जड़ा है।
कौन हैं ये विकृत मानसिकता वाले घिनौनी सोच को अपने कृत्यों के रूप में सभ्य समाज को झकझोर देने वाले? शर्म आती है ऐसे लोगों पर जिनकी मानसिकता में वासना और हवस इस कदर घर कर जाती है जो कि अपने कुछ क्षणों के आनन्द के लिए किसी के घर की खुशियों पर एक ऐसा ग्रहण लगा देते हैं जो कभी मिट नहीं सकता है।
सबसे ज्यादा दोषी हम खुद उस वक्त नजर आते हैं जबकि खुद इस तरह की घटनाओं को सिर्फ अखबार की सुर्खियां पढ़कर छोड़ देते हैं अथवा सोच लेते हैं कि यह पुलिस और कानून का कार्य है।
मत भूलिये कि हर घर में प्रियंका रेड्डी रूपी किसी की बहन, बीबी या बेटी मौजूद है जो कि कभी भी इन निरंकुश दरिंदों की हवस का शिकार बन सकती है।
क्या नहीं सहा होगा उस प्रतिभावान डाॅक्टर ने जो कि अपनी जिन्दगी की बुलंदियों को चूमने के लिए अपने पेशे को अंजाम देकर घर वापस लौट रही थी। बलात्कार शब्द ही सिरहन पैदा कर देता है, दरिंदगी के बाद उसको जिंदा जला देना तो राक्षसी प्रवृति का अपराध हुआ।
क्यों इंतजार करें हम इन राक्षसों के लिए देश की लचर कानूनी प्रणाली का? क्यों और कब तक सहन करें इन दरिंदों को जो कि किसी के भी घर की खुशियां चंद पलों में अपनी हवस को मिटाने के लिए छीन लेते हैं?
सिस्टम यदि लाचार है तो लोकतंत्र में इंसान मजबूर नहीं है। कानून अगर असुरक्षा को नहीं मिटा सकता है तो सुरक्षा के लिए खुद उठ खड़ा होना अपराध नहीं है।
जब तक इस तरह की मानसिकता वालों के दिल में खौफ नहीं पैदा किया जाएगा तब तक हम खुद खौफ में रहेंगे।
क्यों रहें हम खौफ में? हमारे घर में भी प्रियंका रूपी कोई न कोई मौजूद है।
हम अगर खुद नहीं कुछ कर सकते तो न हमको बाप कहलवाने का हक है न भाई के रूप में रक्षाबंधन का रक्षा सूत्र बंधवाने का। न हमको शादी के फेरे लेकर सुरक्षा के वचन के लिए हामी भरने का हक है न बड़ी-बड़ी बातें करके दुनियादारी को समझाने का।
दुनियादारी तभी है जबकि आप खुद हर प्रियंका के लिए अपने को जुटाएं और इन राक्षसी मानसिकता वालों का हर संभव नाश करने के लिए खुद आगे आएं क्योंकि प्रियंका रेड्डी आपके और हमारे घर में भी मौजूद है।
#Dr_Priyanka_Reddy
सुश्री किरन सिंह
बृज क्षेत्र संयोजक
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ प्रकल्प
भाजपा।
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