देश की आधी आबादी आज भी खुद को असुरक्षित महसूस करती है क्योंकि महिला को आज भी भारत में वो स्थान सामाजिक स्तर पर नहीं मिल पाया है जोकि विदेशों में प्राप्त है! भारतीय महिला सक्षम है और देश के साथ विश्व पटल पर भी भारत का नाम ऊंचा कर रही है लेकिन भारत का पुरुष प्रधान समाज आज भी उसी संकीर्ण मानसिकता का शिकार है जिसमें कि महिलाओं को गृहस्थी संभालने और बच्चों के लिए एक गवर्नेस के रूप में देखा जाता है! वर्तमान में प्रत्यक्ष उदाहरण हाल ही में समाप्त हुए ओलंपिक खेलों से लिया जा सकता है जहां कि देश की शान को बनाये रखने का काम दो महिलाओं पीवी सिन्धू और साक्षी मलिक ने किया जोकि अतुलनीय व अनुकरणीय है!
भारत के इतिहास को भी अगर पढ़ा जाये तो उसमें भी महारानी लक्ष्मीबाई व अवंतिबाई जैसी वीरांगनाएं थीं तो कुछ दशक पहले इंदिरा गांधी के रूप में देश को महिला प्रधानमंत्री भी मिली थीं जोकि नारी शक्ति का उदाहरण बनीं!
सानिया मिर्जा हो या साइना नेहवाल ये वो सब नाम हैं जो कि देश को गौरव दिलवाने में हमेशा आगे रहे हैं!
भारत की आर्थिक व राजनीतिक पृष्ठ भूमि में भी आज वसुंधरा राजे, ममता बनर्जी,महबूबा मुफ्ती जैसे नाम हैं तो कई बैंकों के निदेशक पद महिलाओं की कार्य कुशलता से सुशोभित हैं!
हमको खुद महिलाओं और पुरुष जाति के बीच की ये खाई पाटनी होगी तभी नारी स्वाभिमानी बनेगी और देश सशक्त!
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