सोशल मीडिया व महिलाएं


अक्सर देखा जाता है कि सोशल मीडिया पर केवल महिलाओं को ही एहतियात बरतने की सलाह दी जाती है,आखिर ऐसा क्यूं? फिर तो सोशल नेटवर्किंग को सोशल मीडिया के स्थान पर पुरूष प्रधान घोषित कर देना ही उचित होगा!
जिस प्रकार देश में पुरूषों की मानसिकता में सोशल मीडिया पर किसी महिला द्वारा अपना खूबसूरत चित्र लगाना अथवा कोई कठोर टिप्पणी करना मनोरंजन बन जाता है व उनके द्वारा सार्वजनिक वाॅल अथवा इन बाॅक्स में महिलाओं को फंसाने के लिये सुबह वह रात की नमस्कार के साथ निजता के हनन की कोशिश की जाती है वह कौन रोकेगा? सरकार लाख दावे करें लेकिन सच्चाई यही है कि भारत में सोशल नेटवर्किंग का फैलाव अपार है पर सुरक्षा के नाम पर साइबर क्राइम विभाग की गतिविधियां लगभग शून्य!"पीड़ित होने पर ही शिकायत दर्ज होगी" यह प्रशासनिक मानसिकता ही प्रताड़ना बन चुकी है! कौन हरकत कर रहा है और उसको आरंभिक स्तर पर ही रोकने हेतु कोई उपाय नहीं हैं! देश के आईटी एक्सपर्ट भी इस बारे में एहतियात बरतने की ही सलाह देते हैं क्योंकि अभी तक ज्यादातर मामलों में बदनामी का डर हर पीड़ित को सताता है! सावधानी बरतनी जरूरी है पर साथ ही सरकारी साइबर तंत्र को भी इस बारे में कठोर कदम उठाने की जरूरत है जिससे एक सोशल नेटवर्क एक समान समाज बन सके!अक्सर देखा जाता है कि सोशल मीडिया पर केवल महिलाओं को ही एहतियात बरतने की सलाह दी जाती है,आखिर ऐसा क्यूं? फिर तो सोशल नेटवर्किंग को सोशल मीडिया के स्थान पर पुरूष प्रधान घोषित कर देना ही उचित होगा!
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PUBLISHED ON : 20 Aug 2023    |    AUTHOR : Kiran Singh



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